गुग्लू मुग्लू है जो बच्चो सी शैतानियाँ उन की पहचान है देखने में सीधे लगे बातो में छिपी होती शरारतें कई बार है माहौल को करते हल्का फुल्का हर किसी की मदद को रहते हरदम तैयार है घर में माँ की डाट सुन सो के उठते फेसबुक में निशा मोहतरमा की डाट से ये परेशान है एक अदद प्रेमिका के ये तलबगार है उनकी खोज में चाँद में भी जाने को तैयार है ******************* सुमित दिखे भोला-भाला सा सुगुण सुघड़ मतवाला सा मिजाज उसका रंगीला सा फिल्मो का है वो शौकीन सा फिल्मो का पोस्ट मार्टम करता पहला शो पहले दिन ही देखे हम लोगो के पैसे भी बचाता आते ही हमें रिव्यु बताता सोनम कपूर उसके मन को भाये उसके संग वो डेट पर जाना चाहे पर अब उसको कौन समझाए सोनम कपूर को तो करोडो चाहे उसको वो वो कैसे मिल जाए प्रोफाइल पर अपनी तस्वीर न लगाये उसको डर है कहीं नज़र न लग जाये गर्ल फ्रेंड की चाह में दिन ब दिन दुबला हुआ जाये कोई तो उसका भी कहीं चक्कर चलवाये कोई तो हसीना उसे भी मिल जाए जिस संग वो भी होली में रंग लगाए अरे भाई काहे इतना पछताए मिल जाएगी जब तेरा समय आये ******************************** चातक तो किशन कन्हैया है इस मंच के रास रचैया है बस एक समस्या है उनकी हर बाला कहती भैया है किये लाख जतन पर सब बेकार लिख प्रेम पे लेख पाया पुरस्कार कहते है हार ना मानूंगा ये सब से बड़े लड़ैया है ****************** होली खेलने वासुदेव जी घर से निकले एक पडोसी नज़र आये , उन्होंने उनके गालों पे गुलाल लगाये , फिर प्यार से गले मिलने को हाथ बढ़ाये । किन्तु तभी त्रिपाठी जी चौंके , हाथ उन्होंने अपने रोके । क्योंकि आन पड़ी एक अड़चन थी, पता चला वो पडोसी नहीं , पड़ोसन थी। *************************** नाम है जिनका राजेन्द्र उर्फ अंगार चंद बातो में आने पाए न आंच जरा भी कम टिप्पणी की खुजली बड़ी इनको सताती है प्रतिक्रियाओं के लिए कई खुराफात इनको आती है सानिया के जिक्र से इनका मिजाज बदल जाता है मिर्जा को देख दिल का मर्ज और भी बढ़ जाता है लिख डाली है इन पे इन्होने लाल किताब के टोटके जिसको ये सभी से छुपा के टान्ड में रखते है वेलेन्टाइन डे पर ही जब इनके अरमान हिलोरे लेते है इसके चुपके चुपके पन्ने पलते है लेकिन आज कल मंच पे ये नजर नहीं आते है जब से सानिया हुई परायी ये सो ही नहीं पाते है नींद नहीं आती बेचारे रातो में उठ उठ कर सानिया सानिया चिलाते है ******************** वाहिद काशी वासी है इनका तखल्लुस जिनकी बातो में है काशी की ठसक और मस्त मलंगिया रंग शाही गुरुदेव के संग छोड़ गए जागरण का मंच दिखाई गुरु चेले ने जागरण में ऐसे दबंगई हो गए देख सब दंग लौट आये रूठे गुरु वापस आये चेले तो फिर से मचे नया हुडदंग मौका भी है दस्तूर भी गीले शिकवे भूल के होली में रंगे जाए फिर सभी एक ही रंग ******************* जेजे मंच का ये थानेदार है सब का रक्षक ये बलवान है मंच में दिखाई कोई जो गुंडागर्दी ये न इनको बर्दाश्त है तरेरे आँख लिख के ब्लॉग कर देता हंसा हंसा के सबका बुरा हाल है सन्नी लियोन जैसी अबला का रखता बड़ा ख्याल है सत्ता पक्ष में इनकी ही सरकार है जंक्शन का दबंग ये सलमान खान है सबका प्रिय ये कोई और नहीं राज कमल भाईजान है *********************************** बसंती को भाया पाण्डेय जी का ये अंदाज सतरंगी लिख डाली ही इन्होने बसंती पे चालीसा रंगबिरंगी ले के गुलाल पी के भंग बन गए है मस्त मलंगी गब्बर बड़े है बेक़रार लगाने को पाण्डेय जी को रंग जी गब्बर और वीरू से लडने को तैयार गजब ये ढंगजी गब्बर ठाकुर और पाण्डेय जी में होने वाली है जंगजी फाग का है खुमार रंग से है सरोबार इनका अंग अंगजी पी ली है इस बार पाण्डेय जी ने हद से ज्यादा भंग जी तभी दिख रही है सारी ही दुनिया इन को बसंती रंगी बैजु भंग चढ़ाई के नाचत हैं चहुं ओर सोच रहे बसंती को ढूंडने जाऊं किस ओर जाऊं किस ओर चल रहा न कोई जोर बसंती ही सुनाई दे रहा पाण्डेयजी को चहुं ओर ******************************************************* यूँ के सभी मंच के साथी ब्लोगर्स गब्बर के साथ होली मनाने चले गए है फिर भी बसंती ने इस बार मंच में सब को एक सूत्र में जोड़ने की छोटी से कोशिश की है | इस पोस्ट के बाद कल बसंती अपनी अंतिम रचना के साथ उपस्थित होगी मंच में इस राज के साथ की बसंती कौन है थोडा सा इंतजार और कीजिये साहेबान यूँ की अब बसंती कल मिलेगी … बताये देते है
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