यूँ कि बसंती खुद हैरान है किया किसने ये बवाल है………… यूँ कि बसंती होली की तैयारियों में व्यस्त है और मंच में भी उपस्थित रहती है कहीं कोई गडबड न हो जाये…. यूँ के बसंती जानती है होली में कुछ फूहडता भी हो जाती है मगर ये मजाक जेजे की तरफ से था या कोई और गोलमाल था ….. फिर भी बसंती के पास उसकी दुर्लभ रचना सुरक्षित थी तो फिर से मंच में आप सभी के साथ ले के हाजिर हूँ अपनी पहली गंभीर हास्य कविता आनंद लीजिए सरकार…………..
शाही जी बन गब्बर मंच की शोभ बढ़ाये बैजनाथ बाबु देख मस्तो कि टोली लगे रंग में रंग जमाए जे एल साहब करने जासूसी बसंती की टोह में हर महिला ब्लोगर्स का दरवाजा खटखटाए देख बसंती की शैतानी रतूडी जी घबराये चुप रहने में है भलाई वाहिदएक कोने में खड़े मुस्कुराये चातक जी को पसंद आई ये मस्ती कहते है दिस नाईस बसंती मनोज मयंक में राजनैतिक रंग चढा है इस ब्लोग्स से वो लापता है अश्विनी जी से जेजे का पासवर्ड कहीं खो गया है कहा है राजनीती ने रंग में भंग किया है पर बसंती तेरा रंग खूब जम रहा है
शाही जी करेंगे बेडा पार, जेजे की बजायेंगे करताल
तूफ़ान दिल में लिए ……. आली रे आली होली
यूँ के मौसी से पता चला है कुछ लोग बसंती को ढूंडते हुए रामगढ़ तक पहुँच गए है ……….धन्य हुए हम तो …. यूँ कि बसंती इन दिनों जेजे में ही डेरा डाले है तो रामगढ़ में कुच्छु नाही मिले हो साहेब………….
यूँ के पिच्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त जल्दी ही मिलते है आफ्टर द शोर्ट ब्रेक………… …..
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