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यूँ की जागरण की शोले में लेते है एक छोटा सा अल्प विराम,…………….. बसंती ले के आई है इस अल्प विराम में आप सभी के लिए विनीता जी,रौशनी जी और दीप्ती जी की मनभावन रचनाये,… आनंद लीजिए जल्दी ही आप देख पाएंगे जागरण की शोले विराम के बाद …………… शाही जी का खास ख्याल रखते हुए बसंती ने होली के एक गीत का इंतजाम भी किया है … बताये देते है उसे सुनियेगा जरूर …………
अब पलाश फूले वन उपवन
दहक उठी चहुं दिस रक्ताभा
कोयल कूहू कर बतलाये –
“पुष्प- धनुष, रतिपति ने साधा”
फागुन की आहट सुन मचले
नर, नारी, बच्चों की टोली
सखि आई मनभावन होली
हरसिंगार बिछे घर-आंगन
पाहुन को देते आमन्त्रण
गुझिया बने, बने ठंडाई
सब आयेंगे लोग- लुगाई
रंगों की बौछारों में फिर
हंसी, बतकही और ठिठोली
सखि आई मनभावन होली
नाचो गाओ, फाग सुनाओ
ढोल- मंजीरा झूम बजाओ
बार बार ना रुत ये आये
बार बार ना रस बरसाए
डोले है यह तन मन ऐसे –
ज्यों गोपी कान्हा संग डोली
सखि आई मनभावन होली
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बुरा न मानोंहोली है ……………
होली के रंगों में भीगी देखो आज ये टोली है
कल तक थे अनजान सभी अब बन गयी हमजोली है
निशा बन गयी सुबह की किरण
दिव्या ने सजाई रंगोली है
परवीन जीबनी राधिका
छम छमझूम केडोलीं है
मीनाक्षी जी मुस्काएमंद मंद रंगोंकी बौछार करे
विनीता जीचुप चापखड़ी है
भांग उन्होंनेपी ली है
सरिता ने पिचकारीसे रंगों की नदीबहा दी है
देखो तो सब कीसूरत क्या से क्याबना दी है
दीप्ति तले पकोडेगुजिया सबकोखुशुब से ललचाए
कर लो पेट पूजा फिर मिल के रंग लगाये
बन गए देखो सब साथी मिल के मनाये होली है
आज तो अपनों सेरौशनी की भरगयी हवेली है..
चलो मनायेहोली रे
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मौसम में फूलो की गुहार है प्रीत की पुकार है
होली का गुलाल है तन मन रंगने को बेक़रार है
फूल खिले है डाली डाली . आया है मधुमास
हमजोली बन रंगों से भीगे हो जाये हम पास
पिया के हाथो देख अबीर चाल हुई मतवाली
जाने आँखों में कितने राज समेटे आई होली
हुडदंग मचाती आई हर आंगन में टोली
भीगी है प्यार के रंगों से उनकी हर बोली
आज बैर न भुलाया अपनों से तो
कैसा जश्न होली का और कैसा लगे रंग
फागुन के रंग उड़े ,सजाये दिल में उमंग
टूटे दिलों को जोड़ कर लगा ले सबको अंग
आओ भुला कर सब भेद ,हो जाये हम एक
होली का रंग एक नहीं प्रेम भरे रंग अनेक
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